पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी एकल न होकर सामूहिक है: अमित भूषण

विश्व पृथ्वी दिवस 2021:

 सामूहिक एकता ही धरती की रक्षा कर सकती है. देखने मे भले ही यह लाइन छोटी है, किंतु इसका प्रभाव व्यापक है।

पिछले वर्ष इसी पखवारे में हम पर्यावरण संबंधी कई क्रांतिकारी बदलाव देखे थे। वजह था विश्वव्यापी लॉकडाउन।

राजनीति शास्त्र विषय के सहायक प्रोफेसर श्री Peeyush Tripathi बताते है कि तब लॉकडाउन के कारण ऐसा लगा कि 'मनुष्य के पाबंद होते ही प्रकृति आजाद हो गयी।' किन्तु, धीरे-धीरे पक्षियों के कलरव, साफ गगन, पवित्र हवा आदि आदि से हम पुनः दूर होने लगे और 'उपभोग की लक्ष्मण रेखा' को पार करने लगे।

विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का मुख्य वजह पर्यावरण की सुरक्षा कर पृथ्वी को सुरक्षित करने से  है। संभवतः हम आखिरी पीढ़ी है जो अब तक पृथ्वी को हुई क्षति को नियंत्रित कर सकते है। बाद कि पीढ़ी केवल पर्यावरण असंतुलन के ख़ामियाजा ही भुगतने वाली है। और विश्व की एक बड़ी जनसंख्या असहाय होगी।

हर बार की भाँति इस बार पृथ्वी दिवस का विषय 'हमारी पृथ्वी का जीर्णोद्धार' और 'प्रत्येक व्यक्ति के पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने' पर केंद्रित है। हम सभी जानते है पृथ्वी पर जीवन मानव के अस्तित्व के वजह से नही है बल्कि, पेड़-पौधे, जीव-जंतु एवम वनस्पति आदि के सह-अस्तित्व से है। इसमें से किसी एक का विलुप्त होने का अर्थ है शेष अन्य के अस्तित्व पर संकट। 

मनुष्य के प्रकृति में मुक्त हस्तक्षेप के कारण कितनी संकट पैदा हुई है उसके लिए नीचे कुछ आंकड़ों का उल्लेख कर रहा हूँ। सभी आँकड़े आज के दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठ पर छपे सम्पादकीय लेख से लिया हूँ।

♀ बीते 25 वर्षो में 8,462 प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं, जिनमे पशु,पक्षी,वृक्ष आदि सभी सम्मलित हैं। यहीं नहीं, 4,415 प्रजातियां अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की 'रेड सूची' में शामिल है।

●यह भी सोचने की बात है कि सूर्य के तापमान में कोई वृद्धि हुई बिना पृथ्वी के तापमान में सतत वृद्धि हो रही है। वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण ग्लेशियर पिघल रहे है और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण समुद्र के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है जिसके कारण सामुद्रिक इलाको के आस-पास रह रहे 1.5 करोड़ लोग का 'क्लाइमेट रिफ्यूजी' हो जाने का अनुमान है।

◆ समुद्र में लगातार बढ़ रहे प्लास्टिक के कचरों के कारण समुद्र के अम्लता में 2050 तक इतनी अधिक बढ़ जाने का अनुमान है कि उसमे मछलियां नहीं बचेगी।

■ गत बीस वर्षों में 12,000 से अधिक मौसमी आपदाएं घटित हुई है। पहले हम लोग सूखे की समस्या से ग्रस्त थे अब बाढ़ से परेशान है।

¶ धरती को सहेजने के लिए 4 R's जीवन मे उतारने होंगे यानी रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल और सबसे महत्वपूर्ण रिफ्यूज(मना करना)
★ इसके साथ ही हमे उपभोग की नैतिक सीमा का भी उलंघन नहीं करना होगा। बिना मतलब के वस्तु का क्रय और उपभोग से पृथ्वी के संसाधनों में कमी आएगी। हमे सिंगल यूज वाली वस्तुओं के उपयोग में साँझा करना होगा।

कुल मिलाकर पर्यावरण के बहाने हम एक व्यापक लक्ष्य  पृथ्वी सुरक्षा को प्राप्त कर सकते है, किन्तु संरक्षण की जिम्मेदारी एकल न होकर सामूहिक है। और यह  सभी व्यक्तियों के लिए एक समान है...अनावश्यक उपभोग से बचें।

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