कोरोना डायरी: अमित भूषण

गाँवों में कोरोना को लेकर 'व्यक्तिगत भय' यदि  थोड़ा बहुत है भी तो 'सामूहिक भय' बिल्कुल भी नहीं है।

एक ओर गाँवों में जहां कोरोना जाँच की पर्याप्त सुविधा नहीं है, वहीं दूसरी ओर जांच कराने की सुविधा मुफ्त में भी उपलब्ध होती तो भी लोग कराना नहीं चाहेंगे। अब गाँवों में भी संक्रमण के मामले तेजी से रिपोर्ट होने लगी है। पिछले कुछ दिनों से गाँवों से कोरोना मृत्यु की खबरे भी आने लगी है।

बावजूद इसके लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा, वे न केवल विवाह करवाने में मसगूल है, बल्कि, बिना सोचे-समझे 500-600 की भीड़ इक्कठा कर ले रहे है। और प्रशासन भी सम्भवतः तक चुका है। सच्चाई यह है कि विवाह कराने वालों ऐसे लोगो  को कभी इस बात की जानकारी नहीं चलेगी की वे अप्रत्यक्ष रूप से कितने लोगों की जीवन को जोख़िम में डाल दिये हैं अथवा उनके परिवारों के भविष्य को दांव पर डाल दिये है या फिर उन्हें इस बात का भी कभी ज्ञान नहीं होगा कि कितने लोग मर गए। जी हाँ कभी नहीं। 

जहाँ चुनाव कराने के मामले में  सरकार गलत थी, वहीं विवाह जैसे उत्सव कराने के मामले  में परिवार और उस उत्सव में शामिल होने वाले लोग एक सीमा तक गलत है। इनकी सबसे बड़ी गलती यह  है कि ऐसे उत्सवों में शामिल होने के बाद वे 'बेखौफ' यत्र-तत्र-सर्वत्र घूम रहे है। उन्हें अवश्य समझना चाहिए कि बच्चें-बड़े-और बुढे सब उनके अपने लोग है।

जब पिछले वर्ष WHO ने यह कहा कि भारत में कोरोना वायरस का 'द्वितीय लहर' बहुत खतरनाक होगा तो न तो सरकार और नहीं लोग मानने को तैयार थे। भारत ने आनन-फानन में कोरोना पर 'फतह' की घोषणा कर डाला। नतीजा सामने है। हमे वैश्विक सहयोग लेना पड़ रहा है।

 मैं रेलवे स्टेशन के बगल में रहता हूँ रोज ऑक्सीजन ट्रेन को आते-जाते देख रहा हूँ। इससे खराब स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अभी भारत में मानसून सत्र आरम्भ होने वाला है। हमें फिर से बताया गया है कि संक्रमण की 'तीसरी लहर' भारत मे अवश्य आएगी। और भी खतरनाक रूप में। हालांकि तीसरी लहर कब आएगी यह नहीं बताया गया है। मेरा अनुमान है कि यदि मई और जून के महीने में संक्रमण की द्वितीय लहर कमजोर होता है और ऐसे ही  जनजीवन चलता रहा तो तीसरी लहर बरसात के मौसम में अथवा बरसात और जाड़े के संक्रमण के वक़्त आ सकता है। शहरो में लोग सिख लिए है, तीसरी लहर गाँवो के लिए 'और अधिक भयानक' हो सकता है।

अब आते है समाधान पर। समाधान  दो प्रकार के है। प्रथम प्रकार के समाधान सुरक्षात्मक उपाय है जैसे- मास्क डबल करके पहनना, सामाजिक दूरी का खयाल रखना और समय-समय पर हाथ को साबुन से धोते रहना। इसके साथ ही आवश्यक घरों से बाहर नहीं निकलना तथा नए लोगों से नही मिलना।

दूसरे प्रकार का उपाय है जल्दी-से-जल्दी टीकाकरण को पूरा करना। भारत के पास टीका का फार्मूला है लेकिन टीका को बनाने के लिए आवश्य कच्चें सामग्री के लिए वह विदेशों पर निर्भर है। आप जानते ही है कि कितने मशक्कत के बाद 'बाइडेन प्रशासन' ने टीके के लिए आवश्यक कच्चें सामग्री को भारत को देने का निर्णय लिया है।

टीकाकरण से जुड़ी एक दूसरी समस्या है कि यदि टीका सभी के लिए उपलब्ध हो भी जाये तो अपने से सभी लोग टीका लेने टीकाकरण केंद्र पर नहीं जाएंगे। इसे एक विडम्बना ही समझा जाना चाहिए या यूं कहें कि भारतीय समाज की एक यह एक अनूठी विशेषता है। हम ज्ञान पर कम अफवाह पर ज्यादा भरोसा करते है।

 इस समस्या से निपटने में  covid टीकाकरण को पोलियो अभियान की भाँति चलाए जाने की जरूरत है...अर्थात घर-घर जाकर...तभी सभी लोगो का टीकाकरण हो पायेगा... सरकारों को इस सलाह को अमल में लाना चाहिए...निश्चय ही यदि ऐसा हो सका तो  तीसरे लहर की प्रभाव को बहुत हद तक सीमित किया जा सकेगा। अन्यथा हमें आगे के लिए बहुत अधिक तैयार रहने की जरूरत पड़ सकती है।

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