आर्थिक परिषद की गतिविधियां हुई आरंभ, विद्यार्थियों में कराए क्लासरूम सेमिनार, हुई प्रशंसा
विगत दिसंबर माह में आर्थशास्त्र विभाग में सत्र 2023-24 हेतु आर्थिक परिषद के गठन के साथ विद्यार्थी उपयोगी गतिविधियों का आयोजन आरम्भ हो गया।
सत्र 2023-24 हेतु आर्थिक परिषद के निम्न पदाधिकारियों का चयन किया गया है- महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जे.के.संत(संरक्षक), डॉ. अमित भूषण द्विवेदी(समन्वयक), श्रीमती प्रीति वैश्य(सचिव), सुश्री रागिनी अग्रवाल(मुख्य छात्र प्रतिनिधि),सुश्री संजना द्विवेदी(मुख्य छात्र प्रतिनिधि),सुश्री विजय लक्ष्मी सिंह सिकरवार(मुख्य छात्र प्रतिनिधि) तथा अन्य विद्यार्थियों को मेंटर/मेंटी के रूप में चुना गया है। सत्र 2023-24 हेतु वाह्य मूल्यांकनकर्ता के रूप में इतिहास विषय के सहायक प्रोफेसर सुश्री पूनम धांडे को मनोनीत किया गया।
परिषद के गठन के साथ ही विभाग में स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा सुश्री मौसमी राठौर ने रिक्त समय मे प्रत्येक शनिवार को कंप्यूटर की शिक्षा प्रदान कर रही है वहीं विभाग में विद्यार्थियों के ही प्रयास सामान्य अध्ययन की छोटी-छोटी कक्षाएं आरम्भ हुई है।
इसी तारतम्य में दिनाँक 22 दिसंबर को आर्थिक परिषद के प्रमुख छात्र प्रतिनिधियों रागिनी, संजना तथा विजयलक्ष्मी के संयुक्त प्रयास तथा आर्थिक परिषद के अन्य विद्यार्थियों के सहयोग से स्नातक तृतीय वर्ष माइनर/ओपेन इलेक्टिव के लिए शुरू हुए नवीन पाठ्यक्रम लैंगिक अध्ययन के एक प्रमुख इकाई प्रमुख भारतीय महिलाओं की जीवनवृत तथा आर्थिक चिंतन पर चतुर्थ स्टूडेंट क्लासरूम सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में पेपर प्रेजेंटेशन हेतु निम्नलिखित प्रमुख महिलाओं के जीवनी वृति अथवा अर्थ चिंतन पर पेपर मंगाया गया था-
1. मैत्रेयी
2. गार्गी
3. लोपामुद्रा
4. रानी लक्ष्मीबाई
5.कित्तुर चैन्नमा
6. रानी कमलापति
7. रानी दुर्गावती
8. जयमती कुंवरी
9.अहिल्याबाई होलकर
स्टुडेंट सेमिनार हेतु परिषद के विद्यार्थियों में बहुत उत्साह देखा गया। यह ऐसा पहला अवसर था जब विद्यार्थियों ने सेमिनार हेतु ब्रोसर, बैनर, पोस्टर, बैलून से कक्षा की सजावट,सरस्वती वंदना,संचालन,पेपर लेखन तथा प्रेजेंटेशन किये।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य तथा आर्थिक परिषद के संरक्षक डॉ. जे.के.संत मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत व्यक्तव्य के द्वारा विद्यार्थियों के प्रयासों हेतु हौसला वर्धन किये। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष श्री ज्ञान प्रकाश पांडेय तथा इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री पूनम धांडे रही। इस अवसर पर जंतु शास्त्र विभाग की। सहायक प्राध्यापक संगीता बसरानी, राजनीति शास्त्र के श्री कमलेश चावले तथा गणित विभाग की प्रमुख की गरिमामय उपस्थिति रहीं। महाविद्यालय के IQAC प्रभारी डॉ. देवेंद्र सिंह की सम्मानीय उपस्थिति रहीं।
कार्यक्रम का आगाज विजय लक्ष्मी तथा इच्छा गौतम के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ आरम्भ की गई।
कार्यक्रम का संचालन रागिनी अग्रवाल के द्वारा किया गया। विद्यार्थियों द्वारा अतिथियों का स्वागत बैज लगाकर किया गया। चतुर्थ स्टुडेंट सेमिनार में विजय लक्ष्मी, प्रियांशु अग्रवाल, दीपू सिंह, इच्छा गौतम, भारती राठौर,पार्वती राठौर,संजना,अर्पिता पटेल तथा रागिनी के द्वारा मुख्य रूप से किया गया।
सेमिनार में अपना प्रेजेंटेशन देते हुए विजयलक्ष्मी ने यह बताया कि वैदिक साहित्य में धन को अंतिम वस्तु नहीं माना गया है जिसकी हमें तलाश है। वैदिक साहित्य की आर्थिक चिंतन न तो धन की आवश्यकता को नकारता है और न हीं इसे अंतिम वस्तु अथवा जीवन की अंतिम उद्देश्य मानता है। एक तरफ याज्ञवल्क्य अपने पत्नियों के मध्य वानप्रस्थ में जाने से पहले अपने अर्जित धन(भौतिक) पहले दोनों के मध्य में बराबर बांटना चाहते है वहीं उनकी एक पत्नी धन लेने के बजाय उनके साथ वानप्रस्थ जाकर ज्ञानार्जन(अभौतिक- आध्यात्मिक) स्वीकारती है और सारा धन दूसरी पत्नी को दे देने का विचार रखती है।
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