नई शिक्षा नीति करें साकार ज्ञान, योग्यता एवं रोजगार-डॉ.अमित भूषण

 

डॉ.अमित भूषण

सहायक प्रोफेसर अर्थशास्त्र

शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर

अनूपपुर,मध्य प्रदेश-484224.

amit007bhushan@gmail.com

मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला प्रथम राज्य है किन्तु उच्च शिक्षा विभाग के इस पहल को सफल होने में कई व्यावहारिक दिक्कते भी आने वाली है.अभी तक जो दिक्कते प्र्त्यक्ष हुई है उनमे सबसे अधिक छात्रों एवं उनके शिक्षकों के मध्य नए बदलावों को लेकर जागरूकता की कमी देखने में आ रही है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इस कार्यक्रम के सफलता में प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों की महती भूमिका को रेखांकित किया गया है. जागरूकता में प्रसार के लिए बॉटम-अप अप्रोच अपनाने की सलाह दिया जा रहा है अर्थात प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों का यह दायित्व है कि वे अपने कार्यालय के सभी कर्मियों और छात्रों के अभिभावकों तक एनईपी 2021 का प्रचार-प्रसार हर माध्यम एवं प्रत्येक प्रकार से करें.

पृष्ठभूमि:

वर्ष 1986 में शिक्षा नीति का निर्माण किया गया था जिसमे वर्ष 1992 में कुछ संशोधन किया गया था. नई शिक्षा नीति परामर्श के अनुसार तब से तीन दशकों से अधिक का समय बीत चुका है और इस अवधि में समय, समाज,संस्कृति और अर्थव्यवस्था में व्यापक परिवर्तन आ चुका है. यहीं नहीं इस अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी व्यापक परिवर्तन आ चुका है. ऐसे में 21 वीं सदी के लोगों एवं देश के आवश्यकताओं के अनुरूप नई शिक्षा नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. इसी क्रम में ड्राफ्ट शिक्षा समिति ने 31 मई 2020 को शिक्षा मंत्रालय को एक मसौदा प्रस्तुत किया. शिक्षा मंत्रालय ने इस प्रारूप को अपने वैबसाइट पर अपलोड कर इसे पब्लिक किया और शिक्षा से जुड़े सभी हितग्राहियों से उनके विचार/सुझाव/टिप्पणी को आमंत्रित किया.शिक्षा मंत्रालय सभी हितग्राहियों से 2 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए. अंततः इन सुझावों के बाद से 23 जुलाई 2020 को केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच,समानता,गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है. नई शिक्षा नीति गुणवत्ता,नवप्रवर्तन और शोध को उन तीन आधारभूत स्तंभो के रूप ने चिन्हित करता है जिस पर आगे चलकर भारत पुनः ज्ञान का विश्व गुरु बन सकेगा.

इससे पहले कि मैं इस छोटे से लेख के मुख्य भाग पर आऊ उसके पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उच्च शिक्षा संबंधी कुछ प्रमुख लक्ष्यों का उल्लेख करना चाहूँगा. एक, एनईपी-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थाओं में सकल नामांकन अनुपात(Gross Enrolment Ratio) को वर्ष 2018 के 26.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा. दो, एनईपी-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण सुधार किया गया है. इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उसी के अनुरूप प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त कर सकेंगे(जैसे- एक वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, दो वर्ष के बाद डिप्लोमा, तीन वर्ष के बाद डिग्री तथा चार वर्षों के बाद शोध के साथ डिप्लोमा). इसे मल्टिपल एंट्री एंड एक्ज़िट पॉइंट्स कहा जा रहा है. तीन, उच्च शिक्षा में क्रेडिट हस्तांतरण एक अन्य प्रमुख बदलाव है. इसके तहत छात्र अपने क्रेडिट्स को अलग-अलग संस्थानों से पूरा कर सकेंगे और उसका समेकित एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में जमा होते जाएँगे जिसके आधार पर आगे चलकर उसे एकेडमिक लेवेल प्रदान किया जाएगा.

मध्य प्रदेश शासन,उच्च शिक्षा विभाग “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इस वर्ष स्नातक स्तर पर प्रवेश लेने वाले नए उम्मीदवारों की एनईपी 2020 के अनुसार कैरीकुलम होगा. 12 अगस्त 2021 को एक प्रेस कान्फ्रेंस में नई शिक्षा नीति को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा है कि सरकारी एवं प्राइवेट महाविद्यालयों की सीटों में 25 फीसदी की वृद्धि की गई है. शैक्षणिक सत्र 2020-21 में 12 वीं कक्षा में मप्र. माध्यमिक शिक्षा मण्डल, ओपन बोर्ड और सीएबीएसई 8.23 लाख छात्र पास हुए है. ऐसे में स्टूडेंट्स की भारी संख्या को देखते हुए और एनईपी-2020 के 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निजी एवं शासकीय महाविद्यालयों की सीटों में 25 प्रतिशत वृद्धि करने का फैसला किया गया है. इसके साथ ही म.प्र. भोज मुक्त्त विश्वविद्यालय के छात्रों हेतु 84 नए स्टडी सेंटर खोलने के साथ निजी महाविद्यालयों में भी स्टडी सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव विचाराधीन है. इस कान्फ्रेंस के दौरान उन्होंने जानकारी दी कि अकादमिक सत्र 2021-22 से 177 डिप्लोमा एवं 282 सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जा रहे है.

मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा नीति का प्रारूप एवं कार्यान्वयन:

मध्य प्रदेश में जारी शैक्षणिक सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष(विधि संकाय को छोडकर) कला, वाणिज्य, विज्ञान एवं तकनीकी संकायों में नई शिक्षा नीति लागू कर दिया गया है. मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू किया गया है. इस पाठ्यक्रम के जिन प्रमुख विशेषताओं को गिनवाया गया है उनमे भारतीय ज्ञान परमपरा का समावेश., स्नातक स्तर पर शोध प्रविधि स्नातक शोध प्रबंध का समावेश., क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा., प्रत्येक छात्र के पास स्नातक आनर्स करने का विकल्प., कला,विज्ञान, शारीरिक शिक्षा और अन्य पाठ्येत्तर गतिविधियो को बढ़ावा देना., जीवन कौशल को विकसित करना तथा शिक्षा को व्यावहारिक बनाना है.

स्नातक पाठ्यक्रम की संरचना:

चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्र को कुल 160 क्रेडिट्स पूरा करना पड़ेगा जिसमे से उसके पास प्रत्येक वर्ष 40 क्रेडिट्स उपलब्ध होंगे. विद्यार्थी को स्नातक स्तर पर एक मुख्य विषय(Major),एक गौण विषय(Minor), एक वैकल्पिक विषय(Open Elective Course/Generic), एक कौशल संवर्धन हेतु व्यावसायिक पाठ्यक्रम(Vocational), योग्यता संवर्धन हेतु अनिवार्य विषय के रूप में आधार पाठ्यक्रम(Foundation Course) और फील्ड परियोजना/इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप/सामुदायिक भागीदारी और सेवाएं को चुनना होगा.

जैसा कि विदित है एनईपी-2020 चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के लिए अकादमिक लेवेल 5 से लेकर आठ तक निर्धारित है. ऊपर जिन विषयों का वर्गीकरण किया गया है वह अकादमिक लेवेल 5 से 7 के लिए अर्थात प्रथम तीन वर्षों के लिए है.छात्र को चौथे वर्ष में अर्थात अकादमिक लेवेल 8 में तीन मुख्य प्रश्न पत्र, शोध प्रविधि, स्नातक शोध प्रबंध तथा परियोजना/इंटर्नशिप/शिक्षुता के क्रेडिट्स पूरा करने पड़ेंगे. इसके अलावा जो छात्र अपना स्नातकोत्तर मुख्य विषय के अतिरिक्त गौण विषय अथवा वैकल्पिक विषय में करना चाहते है उन्हें अकादमिक लेवेल आठ में 8 क्रेडिट का सब्जेक्ट संबन्धित परियोजना चुनना पड़ेगा.

क्रेडिट्स का ऊर्ध्व एवं क्षैतिज वितरण:


मुख्य एवं गौण विषय के लिए पात्रता पूर्व निर्धारित है अर्थात जो छात्र 12 वीं में विज्ञान(उदाहरण के लिए मान लीजिये PCM) उसके लिए स्नातक स्तर पर मुख्य विषय किसी भी संकाय से चुनने के लिए खुला हुआ है वैसे ही जो छात्र 12 वीं में वाणिज्य पढ़ा है उसके लिए वाणिज्य के अतिरिक्त मुख्य अथवा गौण विषय कला संकाय से लेने के खुले होंगे किन्तु, यदि कोई छात्र 12 वीं में सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ा है तो फिर उसे उन्हीं विषयों मे से मुख्य अथवा गौण विषय चुनना पड़ेगा. इसका तात्पर्य यह हुआ कि छात्र को सर्वप्रथम अपना कोर्स ग्रुप चुनना होगा. उदाहरण के लिए मान लीजिये कोई छात्र अपने 12 वीं के विषयो के पात्रता के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रम के लिए अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और इतिहास चुनता है तो फिर वह इन तीन विषय समूह में से अपने रूचि के अनुसार एक विषय को मुख्य और एक विषय को गौण विषय के रूप में चुन सकेगा. अब फिर से मान लीजिये कि छात्र ने अर्थशास्त्र को मुख्य विषय के रूप में और समाजशास्त्र को गौण विषय के रूप में चुन लेता है तो अब उसके पास अपने वैकल्पिक विषय(Open Elective/Generic) चुनने के दो विकल्प होंगे-प्रथम, वह अपने चुने कोर्स समूह का बचा एक विषय अर्थात इतिहास को चुन सकता है और द्वितीय, वह किसी अन्य संकाय के उपलब्ध क्रेडिट्स को चुन सकता है. वैकल्पिक विषय में किसी अन्य संकाय से क्रेडिट चुनने के छूट के कारण ही इन्हे जेनरिक विषय कहा गया है. वर्तमान सत्र में कला संकाय के लिए 25,विज्ञान संकाय के लिए 20, वाणिज्य संकाय के लिए पाँच और अन्य के अंतर्गत एनसीसी/एनएसएस/शारीरिक शिक्षा वैकल्पिक विषय के रूप में चयन के लिए उपलब्ध है. नई शिक्षा नीति को भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल इसी खंड के कारण बताया जा रहा है क्योकि वैकल्पिक विषयों में श्री रामचरित मानस का दार्शनिक चिंतन, भारत के धर्म, दर्शन संगीत आदि को उपलब्ध करवाया गया है.

क्रेडिट के अनुसार अकादमिक संरचना:

जैसा कि ऊपर बताया चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के कुल 160 क्रेडिट्स होंगे जिसकी संरचना निम्नवत होगी-

1.  मुख्य विषय                           54 क्रेडिट्स

2.  गौण विषय                           28 क्रेडिट्स

3.  वैकल्पिक विषय                       18 क्रेडिट्स

4.  कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम                12 क्रेडिट्स

5.  आधार पाठ्यक्रम                      24 क्रेडिट्स

6.  फील्ड परियोजना/इंटर्नशिप/              24 क्रेडिट्स

अप्रेंटिसशिप/सामुदायिक भागीदारी       कुल= 160 क्रेडिट

 

बहुआगमन एवं निर्गमन:

बहुआगमन एवं निर्गमन को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख विशेषताओं में गिना जा रहा है. पुरानी शिक्षा व्यवस्था मे एक प्रमुख खामी यह था कि यदि छात्र बीच में ही अपने पढ़ाई को रोक देता था तो उसको कुछ भी नहीं प्राप्त होता था किन्तु, नई शिक्षा नीति में छात्र को मल्टिपल एंट्री-एक्ज़िट का विकल्प होगा. इसे ऐसे समझ सकते है कि यदि छात्र पहले वर्ष के 40 क्रेडिट्स को पूरा कर पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे प्रमाण पत्र दिया जाएगा, यदि वह दूसरे वर्ष के 40 क्रेडिट्स को पूरा करने के बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा दिया जाएगा और यदि वह तीसरे वर्ष के 40 क्रेडिट्स को पूरा करने के बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे स्नातक कि डिग्री दिया जाएगा और यदि वह चौथे वर्ष के 40 क्रेडिट्स को पूरा करता है तो उसे स्नातक शोध(Bachelor with Research) का क्वॉलिफ़िकेशन दिया जाएगा.

विमर्श: 

मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला प्रथम राज्य है किन्तु उच्च शिक्षा विभाग के इस पहल को सफल होने में कई व्यावहारिक दिक्कते भी आने वाली है.अभी तक जो दिक्कते प्र्त्यक्ष हुई है उनमे सबसे अधिक छात्रों एवं उनके शिक्षकों के मध्य नए बदलावों को लेकर जागरूकता की कमी देखने में आ रही है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इस कार्यक्रम के सफलता में प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों की महती भूमिका को रेखांकित किया गया है. जागरूकता में प्रसार के लिए बॉटम-अप अप्रोच अपनाने की सलाह दिया जा रहा है अर्थात प्राचार्यों एवं प्राध्यापकों का यह दायित्व है कि वे अपने कार्यालय के सभी कर्मियों और छात्रों के अभिभावकों तक एनईपी 2021 का प्रचार-प्रसार हर माध्यम एवं प्रत्येक प्रकार से करें.

निश्चित रूप से छात्रों को चॉइस बेस्ड क्रेडिट,  मल्टीपल एंट्री-एग्जिट, आधार,व्यावसायिक एवम कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने से उनके ज्ञान,योग्यता एवम कुशलता में वृद्धि आएगी तथा वह बदले हुए परिवेश में रोजगार के लिए अधिक तैयार होगा। लेकिन इनके साथ जुड़ी हुई अन्य व्यवहारिक दिक्कतें भी उत्पन्न होगी जैसे- व्यावसायिक एवम वैकल्पिक विषयों के पाठ्यक्रमों के लिए या तो छात्रों को e-कंटेंट पर आश्रित होना पड़ेगा या फिर वह लोकल संसाधनों से इसे पूरा करेगा या फिर उसके पास विकल्प होगा कि स्वयं/नपटेल आदि से उन क्रेडिट्स को पूरा करें। और इसी के साथ एक बहुत बड़ा प्रश्न आएगा डिजिटल डिवाइड का वे जिनके पास ऑनलाइन एजुकेशन की सारी सुबिधाये है और वे जिनके पास ये सुबिधाये नहीं है उनके ज्ञान,कुशलता एवम योग्यता अर्जन में बहुत अधिक अंतर आएगा। अतः आवश्यक है कि इन पाठ्यक्रमों को डिलीवर करने वाले तंत्र को समय रहते दुरुस्त किया जाए ताकि एक समान संवहनीय एवम गुणवत्ता परक शिक्षा सभी को प्राप्त हो सके।

 

संलग्नक-1 व्यावसायिक पाठ्यक्रम



संलग्नक-2 आधार पाठ्यक्रम


 

संलग्नक-3 मूल्यांकन पद्धति


 

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